Bhakti Shastri (Hindi)

Course Description

हमने उन भक्तों के लिए भक्ति शास्त्री पाठ्यक्रम तैयार किया है जो गंभीरता से कृष्ण भावनामृत का अभ्यास कर रहे हैं और श्रील प्रभुपाद की

- भगवद-गीता यथारूप,

-भक्ति-रसामृत सिन्धु,

-उपदेशामृत और

-श्री ईशोपनिषद

इन पुस्तकों का व्यवस्थित रूप से अध्ययन करना चाहते हैं। यह पाठ्यक्रम आपको अपने शास्त्र ज्ञान और समझ को बढ़ाने में मदद करेगा। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य उन वैष्णवो को तैयार करने का है जो कृष्ण भावनामृत का अभ्यास करने में दृढ़ निश्चयी हैं और गौड़ीय वैष्णव सिद्धांतों को समाज तक पहुँचाने में समर्थ हैं। श्रील प्रभुपाद ने इस पाठ्यक्रम को सभी इस्कॉन भक्तों के लिए ब्राह्मणीय प्रशिक्षण और शिक्षा का एक अनिवार्य हिस्सा बताया है। योग्य छात्रों को इस्कॉन बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन से एक “भक्ति-शास्त्री” प्रमाणपत्र से सम्मानित किया जाएगा।


Course Contents: भगवद् गीता, उपदेशामृत, भक्तिरसामृत सिन्धु, और ईशोपनिषद् का गहन और व्यवस्थित अध्ययन


Teachers: कनई कृष्ण दास, श्रीकेशव दास, रामानुज दास, प्रेमसिन्धु गौरांग दास, जय दामोदर दास


Course Materials: भक्ति-शास्त्री छात्र पुस्तिका


Assessment Plan: 6 बंद-पुस्तक परीक्षा, 12 खुली –पुस्तक परीक्षा, 6 श्लोक कंठस्थ तथा ऑनलाइन कक्षा उपस्थिति


स्वरूप दामोदर को पत्र - बॉम्बे 10 जनवरी, 1976: मैंने GBC के विचार हेतु भी सुझाव दिया है कि हमें भक्तों के लिए एक परीक्षा प्रणाली शुरू करनी है | कभी-कभी ऐसी आलोचना की जाती है कि हमारे भक्त पर्याप्त रूप से शिक्षित नहीं है, विशेषतः ब्राह्मण | निसन्देह द्वितीय दीक्षा परीक्षा उत्तीर्ण करने पर निर्भर नहीं करती है। किस प्रकार से उसने अपने जीवन को ढाला है - उसका जप, आरती में भाग लेना आदि, ये आवश्यक चीज़े हैं। फिर भी, ब्राह्मण का अर्थ है पंडित। इसलिए मैं परीक्षा प्रणाली का सुझाव दे रहा हूं। भक्ति-शास्त्री - भगवद-गीता, श्री ईशोपनिषद, भक्तिरसामृत सिन्धु, उपदेशामृत, और सभी छोटे पेपर बैक पर आधारित होगा। भक्ति-वैभव- उपरोक्त को मिलाकर श्रीमद्भागवतम के पहले छः स्कन्ध, भक्तिवेदांत- उपरोक्त को मिलाकर

श्रीमद्भागवतम के ७-१२ स्कन्ध और भक्ति-सार्वभौम - उपरोक्त को मिलाकर चैतन्य-चरितामृत का अध्ययन।

ये उपाधियाँ बी.ए., एम.ए. और पीएच.डी. में प्रवेश के समान है| तो अब विचार करें कि इस संस्थान को कैसे संगठित किया जाए।